वो तीन पहल जो बदल सकती हैं उत्तराखंड का भविष्य

आज उत्तराखंड स्थापना के बीस बर्ष पूरे हुए। इस अवसर पर ज्ञानीमा द्वारा आयोजित ‘उत्तराखंड विचार प्रतियोगिता’ के तहत जिस लेख को चयनित किया गया है उसके लेखक हैं पुणे के श्री जीवन सिंह खाती।

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उत्तराखंड के पहाड़ों में मशरूम – इतिहास और भविष्य

सत्तर के दशक से ही पहाड़ों में मशरूम उत्पादन द्वारा रोजगार के वैकल्पिक तरीकों को बढ़ाने की कोशिश होती रही है। पर मशरूम की खेती परंपरागत खेती से पूरी तरह भिन्न है। इसमें तकनीक की प्रधानता है इसलिए उत्पादकों को ठीक से तकनीक को समझना और अपनाना आवश्यक है।

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चार धाम, चार लेन और चार सवाल!

‘चारधाम मार्ग का पुनरुद्धार’ के तहत हो रहे चौड़ीकरण को लेकर कुछ मूलभूत प्रश्न हैं जो बार-बार परेशान करते हैं। इन मसलों को, जो अन्य ‘पुनरुद्धारों’ के भी हैं, आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि तार्किक संवाद हो और हम किसी वाजिब निष्कर्ष पर पहुँचें।

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