तिब्बती व्यापारी

भारतीय हिमालयी सरहदों के ऊँचाई वाले इलाकों में रहने वाले समुदायों का तिब्बती समाज से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1957 में अमेरिकी फिल्मकार जे माईकल हैगोपियन ने जाड व्यापारियों के जीवन पर ‘तिब्बतन ट्रेडर्स’नाम से महत्वपूर्ण वृतचित्र बनाया था जिसका ज्ञानिमा ने हिंदी रूपांतरण किया है।

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क्या होती है कीड़ाजड़ी?

पिछले कुछ वर्षों में पहाड़ों में कीड़ाजड़ी की काफी चर्चा हुई है। उच्च हिमालय के कतिपय ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में इसने अहम् भूमिका निभाई है। उत्तराखंड में कीड़ाजड़ी की स्थिति क्या है इसको लेकर डॉ गिरिजा पांडे ने इसके विशेषज्ञ प्रो. चन्द्र सिंह नेगी से विस्तार से चर्चा की।

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दिल्ली और पर्यटन से आगे

सूचना क्रांति और युवाशक्ति के इस दौर में आजीविका के काम करने में कोई खास परेशानी नहीं होनी चाहिए, बशर्ते कि विकास की योजनाएँ मैदान की जगह पहाड़ केंद्रित हों। इस तरह की योजनाएँ सिर्फ एक एनआरएलएम और कुछ बाहरी फंडिंग की जिम्मेदारी मान के पल्ला झाड़ लेने से क्रियान्वित नहीं हो पायेंगी। रोजगार सृजन को एकल लेंस से देखने के बजाय समेकित नजर देने की जरूरत है।

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उत्तराखंड के सपने और यथार्थ

9 नवंबर 2000 को पृथक राज्य के रूप में उत्तराखंड अस्थित्व में आया। ऐसा लगता है की पिछले दो दशकों में विकास की गति के साथ-साथ सामाजिक चेतना की लौ भी धीमी पड़ गई है। बोये गए सपने जिस तरह बिखरते चले गए हैं उसने न केवल सामाजिक उत्साहहीनता की स्थिति ला खड़ी की है बल्कि लागू किये जा रहे आधुनिक विकास माडल पर भी सवालिया निशान लगा दिये है।

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पहाड़ों में मशरूम की खेती – क्या करें और क्या नहीं!

श्री विनोद पांडे मशरूम को एक वनस्पति विज्ञानी और उद्यमी के रूप में गहराई से समझते हैं। इस लेख में हम उनसे मशरूम की खेती के उन पहलूओं के बारे में बातें करेंगे जिसे जानना एक किसान या उद्यमी के लिए बहुत जरूरी है।

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