हिमाचल आपदा और बेलगाम विकास

हिमाचल प्रदेश 50 साल बाद एक बार फिर महाआपदा का सामना कर रहा है। पर्यावरणविदों का कहना है कि, आपदा के लिए बिजली परियोजनाओं की सुरंगें, कमजोर पहाड़ों को काटकर फोरलेन सड़कों का निर्माण, अवैध खनन, नदियों को डंपिंग जोन बनाना और पर्यटन के नाम पर अवैज्ञानिक और बेतरतीब निर्माण प्रमुख कारण हैं।

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शिवालिक के कई दून

देहरादून का नाम तो हम सभी ने सुना है। पहाड़ी रास्तों को पार कर, अगली पहाड़ी श्रंखला शुरू होने से पहले फैला यह घाटीनुमा इलाका राजनैतिक और सामाजिक ही नहीं बल्कि भूगोल व भूगर्भीय विज्ञान के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान से लेकर नेपाल तक ऐसे ही कई ‘दून’ हैं जिनकी उर्वर भूमि सदा से लोगों को आकर्षित आई है।

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 और उत्तराखंड

उत्तराखण्ड एक छोटा सा राज्य है जहाँ प्रदूषण करने वाली इकाईयां भी काफी कम है और जनसंख्या भी। उपभोग के शहरी तौर तरीकों का भी अभी पुरजोर आगमन नहीं हुआ है। बावजूद इसके स्वच्छता के मामले में स्थिति बुरी होने का मुख्य कारण शायद जागरूकता की कमी है।

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क्या होती है कीड़ाजड़ी?

पिछले कुछ वर्षों में पहाड़ों में कीड़ाजड़ी की काफी चर्चा हुई है। उच्च हिमालय के कतिपय ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में इसने अहम् भूमिका निभाई है। उत्तराखंड में कीड़ाजड़ी की स्थिति क्या है इसको लेकर डॉ गिरिजा पांडे ने इसके विशेषज्ञ प्रो. चन्द्र सिंह नेगी से विस्तार से चर्चा की।

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उत्तराखंड की वनाग्नि और अदालती आदेश

हर तरफ धुआँ ही धुआँ है। जंलते जंगलों का धुआँ। ऐसे में अदालती आदेश उन बादलों से लगते हैं जो अपनी बारिश से वनाग्नि बुझाने की क्षमता तो रखते ही हैं, धुएँ की पर्त को हटा कर हमें दूरदृष्टि भी प्रदान कर सकते हैं। ये अलग बात है की अवमानना की हवा अक्सर इन बादलों को नाकाम कर देती है।

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चारधाम चौड़ीकरण पर अदालती आदेश के मायने

चारधाम सड़क परियोजना पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के चलते अब चार लेन सड़क नहीं बन सकती। इस लेख के माध्यम से हम न्यायालय के आदेश का हिन्दी अनुवाद तो प्रस्तुत कर रहे ही हैं, साथ ही साथ यह लेख इस आदेश के संदर्भ व मायने को समझने का प्रयास भी है।

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मनुष्य भी रहते हैं इस देवभूमि में

डॉ. नवीन जुयाल ने बड़ी आसानी से एक बहुत बड़ी बात हमारे समक्ष रखी है। उनका कहना है कि सब लोग उत्तराखंड को देवभूमि कहते है और हम आत्ममुग्धता के गुब्बारे से फूले रहते हैं। असलियत यह है कि उत्तराखंड में मनुष्य भी रहते हैं जिनकी अपनी जरूरतें हैं, अपने सरोकार हैं। इस धरा से उनके भी जुड़ाव के मुद्दे हैं।

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चार धाम, चार लेन और चार सवाल!

‘चारधाम मार्ग का पुनरुद्धार’ के तहत हो रहे चौड़ीकरण को लेकर कुछ मूलभूत प्रश्न हैं जो बार-बार परेशान करते हैं। इन मसलों को, जो अन्य ‘पुनरुद्धारों’ के भी हैं, आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि तार्किक संवाद हो और हम किसी वाजिब निष्कर्ष पर पहुँचें।

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