कुली बेगार आंदोलन के सौ वर्ष

आज से ठीक सौ साल पहले, दस हजार से ज्यादा काश्तकार-किसान बागेश्वर के उत्तरायणी कौतीक में इकठ्ठा होकर ब्रिटिश सरकार की अन्यायपूर्ण नीतियों का विरोध कर रहे थे। देखते ही देखते सभा में उपस्थित ग्राम प्रधानों समेत कई मालगुजारों ने बेगार से जुड़े कुली रजिस्टर सरयू नदी में बहा डाले। यह घटना अंग्रेज सरकार द्वारा अपने नागरिकों के खिलाफ अपनाई जा रही शोषक और अन्यायपूर्ण नीतियों के विरुद्ध उत्तराखंड के किसानों के व्यापक प्रतिरोध की पहली संगठित अभिव्यक्ति थी।

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